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Monday, October 24, 2011

786 के अंको का अनूठा संग्रह

786 के अंको का अनूठा संग्रह

786 नम्बरों वाले नोटों का संग्रह
                 दुनिया रचने वाले व दुनिया में गुजर बसर करने वालों का शोख भी ला जवाब है। जिस तरह सृष्टि के रचयिता ने 84 लाख भांति भांति के जीव जन्तु,पशु पक्षी,मानव,नदी पहाड़ जंगल आदि की रचना की है। उसी प्रकार दुनिया वालों की शोख भी भिन्न- भिन्न बनाये है। कोई खाने पाने में मस्त है कोई धन कमाने में-जोड़ने में व अपनी मोटर कार,बंगले में मस्त, कोई चोरी जुआ,इश्क़ मुहब्बत में मस्त है। ऐसा ही एक उदाहरण है बगड़ कस्बे में जो झुन्झुनूं जिले से 10 कि.मी पूर्व में पड़ता है  बगड़ कस्बे के मण्ड्रेला रोड़,जाटाबास में रहने वाले रमेश फुलवारिया का है जो एक सरकारी पद पर शिक्षक है।
                 रमे फुलवारिया का शोख कब आदत में बदल गया उन्हें खुद पता नहीं। जब वह छोटा था तब अपनी दादीजी के पास रहकर बगड़ में पढ़ाई करता था उसका बाकी परिवार मुंबई रहता था एक बार उसके पापा मुंबई जा रहे थे। तब उन्होंने उसे एक 10 रुपये का नोट दिया और कहा इस पर खुदा के अंक लिखे  है इसे सम्हाल कर रखना यह मुसीबत में तुम्हारे काम आयेगा इस नोट के अन्तिम अंक 786 थे बड़े ही भोलेपन से रमेश कहते है। हमें तो उस समय कहीं खुदा के अक्सर नजर नहीं आये। जैसा हमारे पापा जी ने कहा हमने मान लिया। हमारे मन में एक बार सवाल भी  उठा की सिर्फ नम्बर ही क्यों लिखते है पुरा नाम क्यों नहीं? मान्यता के मुताबिक जब ‘‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’’ लिखते है तो उसका जोड़ 786 होता है। इसलिए ऐसी जगहों पर जैसे घर दप्तर के दरवाजे आदि पर जहां खुदा का नाम लिखना बेअदबी माना जाता है, वहां यहीं अंक 786 लिखा जाता है। बस इसके बाद तो मेरा शोख बढ़ता हुआ कब आदत में बदल गया यह खुद को भी नहीं पता है।
सो रूपये के व अन्य नोटों  जिनके नम्बर 786 है उनका संग्रह
               रमेश फुलवारिया ने बताया कि एक दिन मैं स्कूल गया था पिछे  से मेरी दादीजी ने मेरे इकट्ठे किये गये 786 अंक वाले नोटों से अनजाने में राशन का सामान ले आई और जब मैं दोड़कर राशन की दुकान पर पहुंचा तब तक वो नोट दूसरे ग्राहक को दिये जा चुके थे। तब मुझे बहुत गहरा दुख हुआ और अहसास हुआ कि नोटों को सहेजने के साथ-2 सुरक्षित रखना भी बड़ी जिम्मेदारी है उसके बाद भी फुलवारिया ने हार नहीं मानी तथा इरादे और भी ज्यादा बुलन्द हो गये जो भी नोट हाथ में आता अंको पर नजर पहले जाती और नोटों को सहेजना शुरू कर दिया शुरूआत में तो घर वाले आस पास के लोग और दोस्त इसे इनका पागलपन समझ कर उन पर हंसते थे लेकिन बाद मे वे भी इस तरह के नोट इक्ट्ठा करके उन्हें देने लगे। इस तरह धीरे धीरे उनके पास इन नोटों का संग्रह होने लगा। आज उनके खजाने में 786 अंक के एक,दो,पांच,दस,,बीस,पचास,सौ,पांच सौ,हजार रूपये नोट शामिल है।
बस टिकट व नोटों के संग्रह के साथ रमेश
              फुलवारिया को अब तो नोटों का ही नहीं 786 के अंको वाले रेल टिकट,बस टिकट,रसीद, बिल आदि का भी संग्रह करने लगा है।
               फुलवारिया को किसी विशेष चीजों का संग्रह करने की आदत बचपन से ही थी। वह बचपन में रंग बिरंगे पंख,कांच की गोली, एक ही टाईटल के गाने,बटन,शायरी, विचित्र प्रकार के पत्थर के टुकडों का संग्रह रखता था। 1998 में  अलग जगहों के पहाडों से इकट्ठे किये गये पत्थरों का संग्रह आज भी बी.एल.  सीनियर सैकण्डरी स्कूल की कृषि विज्ञान की प्रयोग शाला में प्रोजेक्ट के रूप में रखे है। जो अन्य विद्यार्थियों को भी ऐसी दुर्लभ वस्तुओं को संग्रहीत करने के प्रेरित करते है।
               मैं  आप से भी अनुरोध करते हैं अगर आपको भी अगर कोई ऐसी दुर्लभ वस्तु या पुराने सिक्के या कोई विचित्र वस्तु मिले या प्राप्त हो तो उसे सहेजे या हमें हमारे पते पर भिजवा दे। संगह करना एक अच्छी आदत है।
 रमेश फुलवारिया का परिचय -
 नाम --  रमेश कुमार (अध्यापक)
योग्यता -

                  B.Sc.,  M.Sc.,  MCA,  M.A.,  PGDCA.  APGDCSA, PGDIT, CPM,  B.Ed.
   
पदाधिकारी -
1.    कोषाध्यक्ष - मन्दिर स्वामी खेतादास समिति लोहार्गल,जिला झुन्झूनूं
2.    सचिव - मां सरस्वती चिल्ड्रन एकेडमी शिक्षण संस्थान बगड़,

                    जिला झुन्झुनूं
3.    संरक्षक  -  रैगर समाज समिति बगड़,जिला झुन्झुनूं
4.    पूर्व विज्ञान सचिव सेठ मोतीलाल (पी.जी) कॉलेज झुन्झुनूं
         पता - मण्ड्रेला रोड़,जाटाबास,पोस्ट-बगड़
          जिला झुन्झुनूं (राज.)
          मो. 08955263800, 09669074407

             E mail - ramesh_fulwariya@yahoo.com
                       rameshfulwariya@gmail.com

झिरी गांव की कहानी


झिरी गांव की कहानी (दास्तां) रमेश फुलवारिया की जुबानी

एक विडम्बना
आजादी के 64 वर्ष बाद भी इस झिरी गॉव में यातायात  के साधनों, बिजली, पानी, दुरसंचार सेवा, विधालयो मे स्टाफ, चिकित्सालयों मे आधुनिक तकनिकी आदि का अभाव हैं

   झिरी गॉव धौलपुर (राजस्थान) के सरमथुरा शहर से 28 कि.मी. दुर डांग (जंगल) मे बसा एक गॉव हैं। यहा कि प्राकृतिक छटा देखने से मन प्रफुलित हो जाता हैं। यह प्राकृतिक कि गोद मे बसा एक गॉव हैं। ऐसा कहा जाता हैं। कि प्राचीन समय मे इस गॉव में पहाड़ियों की दरार ( झिरियों ) से पानी निकलता था। इसी लिए इस गॉव का नाम झिरी पड़ा। झिरी गॉव  वर्तमान स्थान पर बसने से पहले, यह गॉव श्री बाबु महाराज का मन्दिर, जो चम्बल नदी के किनारे पर बना हुआ हैं वहा पर बसा था। झिरी गॉव एक ग्राम पंचायत मुख्यालय हैं। इस ग्राम पंचायत के अन्तर्गत झिरी, भम्पुरा, शंकरपुर, रुध का पुरा, हल्लू का पुरा, भगतपुरा, पनावती, खिल्लाडाना, सेवरियापुरा, दुर्गसी, अमरपुरा, जारोला आदि गॉव आते हैं।
  झिरी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजीव गॉधी केन्द्र, पशु चिकित्सालय, डाक कार्यालय, पटवार घर, प्राथमिक व माध्यमिक विधालय व ग्राम पंचायत मुख्यालय के अन्तर्गत 12-13 विधालय, पुलिस चैकी आदि सरकारी विभाग कार्यरत हैं। इनके साथ ही श्री गिर्राज प्रसाद मीणा द्वारा संचालित निजी शिक्षण संस्थान अनामिका पब्लिक शिक्षण संस्थान, भम्पुरा और  श्री राकेश तिवारी द्वारा संचालित श्री नृसिह जी प्राथमिक विधालय, झिरी  भी हैं। श्री नृसिह जी प्राथमिक विधालय, झिरी के व्यवस्थापक श्री संजू सिंह ठेकेदार है।  
अपनी सुविधा के लिए ग्रामीणों द्वारा पत्थर काट कर बनाये गये रास्ते

कहा जाता हैं कि इस गॉव मे सर्वप्रथम ब्राह्यण, मीणा, जाटव परिवार आकर बसे था। आज झिरी गॉव मे ब्राह्यणों के अलावा महाजन, राजपुत,  कोली, तेली मुस्लिम, नाई, बढई, मेहतर आदि बसे हैं। तथा इस ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाले गॉवो मे उपरोक्त जाति के अलावा केवट, प्रजापत, कुशवाह, गुर्जर, कहार आदि बसे हैं।
 झिरी गॉव एक कृषि प्रधान गॉव हैं। यहॉ के अधिकतर लोग कृषि कार्य व पशुपालन पर निर्भर रहते हैं। गॉव के कुछ लोग सरकारी सेवा मे व गॉव से बहार प्राइवेट नोकरी भी करते हैं। गॉव में ही एक पी.डब्लयु.डी. के ठेकेदार श्री संजू सिंह जादौन हैं। ठेकेदार श्री संजू सिंह जादौन गॉव के विकास के लिए हरदम प्रयास करते रहते हैं। उनका गॉव के विकास मे महत्त्वपुर्ण योगदान हैं। किसी नेता व सरकारी अधिकारी को गॉव मे आने के लिए प्रेरित करना व उनसे गॉव कि समस्या का निराकरण करवाने मे वे बहुत महत्त्वपुर्ण भुमिका निभते हैं।
  बसेड़ी पंचायत समिति का उप प्रधान श्रीमति कविता मीणा भी झिरी गॉव मे श्री रतिराम जी मीणा की पुत्र वधु हैं। यह गॉव के शौभाग्य कि बात हैं कि देश आजादी के बाद इस गॉव की महिला उप प्रधान बनी।
   झिरी गॉव के सरपंच श्री रामजी लाल मीणा, बहुत ही ईमानदार, मिलनसार, मधुभाषी व्यक्ति हैं। वे हर वक्त ग्राम के विकास व ग्राम की समस्या निर्वारण के बारे प्रयासरत रहते हैं।

 किसी भी गॉव का विकास यातायात के साधनो के अभाव मे अधुरा रहता हैं। इस गॉव मे आजादी के 64 वर्ष बाद भी सरकार की तरफ से यहा यातायात  के साधनों का अभाव हैं। लेकिन मै धन्यवाद देना चाहता हो उन शक्स को जो इन दुर्लभ परिस्थितियों मे भी गॉव वालो को ये सुविधा उपलब्ध करा रहे है। इसी गॉव के निवासी श्री रामस्वरुप जी पटेल व गोधन जी मीणा द्वारा लगातार गॉववासियों को यातायात की सुविधा बहुत ही कम दाम मे उपलब्ध कराई जा रही हैं।

 
                
                श्री केशव जी तिवारी, जो गॉव के पोस्ट मास्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनके व उनके सहयोगियो द्वारा गॉव मे डाक विभाग की सेवा बहुत ही अच्छे तरीके से चली आ रही हैं। कहते हैं जब गॉव मे यातायात का साधन था तब भी विषम परिस्थितियो मे, वे इसी तरह अविरल सेवा प्रदान करते रहे हैं। 
                
  
  
पहाड़ी पर भ्रमण के दौरान फोटो बनवाते रमेश फुलवारिया
गांव के लोक देवता कुंवर बाबा  का मन्दिर जिसके आशिर्वाद से गावं के लोगों की जहरिले जानवरों से रक्षा होती हैं

विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते बालक तथा
 शंकर पुर गावं का एकमात्र जल स्रोत जहा से ग्रामीण कावड़
नुमा बर्तन में जल भरकर ले जाते हैं









 चुनाव के समय राजनेताओं ने बड़े बड़े वादे किये लेकिन किया कुछ नहीं बिजली के नाम पर इस गांच में सिर्फ सुने पोल ही खडे हैं और तरस रहें हैं कि कब इन राजनेजाओं या सरकार की आंख खुले और इन्हें बिजली के तार व बिजली नसीब हो



   श्री जगदीश प्रसाद जी तिवारी व श्री केशव जी शर्मा जो गॉव के चिकित्सालय मे कार्यरत हैं। जो गॉव मे सकंट मोचन की भुमिका निभते हैं। इनके द्वारा गॉव वालो को 24 घण्टे चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाती हैं। ग्राम पंचायत झिरी के अन्तर्गत आने वाले गॉवो के व्यक्तियों की हर वक्त सेवा करने मे तत्पर रहते हैं।
   श्री राजाराम जी जादौन, झिरी ग्राम पंचायत के राशन डीलर का कार्य काफी समय से बेखुबी निभा रहे हैं। इतनी कठिन परिस्थितियो, दुर्लभ रास्तों से राशन सामग्री ला कर यहा वितरण कर रहे हैं।
    इनके अलावा यहॉ के पटवारी, ग्राम सचिव, नरेगा सहायक सचिव, अध्यापकगण आदि गॉव के विकास के लिए, गॉव वालो के साथ रहते हैं।
गावं का पानी का जोहड़
   गॉव मे होने वाली संगीतमय रामलीला व प्रतिवर्ष भरने वाला गुदड़ी का मेला देखने लायक हैं। इन्हें देखने के लिए दुर-2 से लोग आते हैं। गुदड़ी का मेला मे होने वाली कुश्ती प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिए पडोसी राज्य मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश से भी पहलवान आते हैं। गॉव के लोगो द्वारा प्रतियोगिता जीतने वालो को उचित ईनाम दिया जाता हैं। प्रतियोगिता शांतिपूर्वक तरीके से सम्पन्न कराई जाती हैं।
   मै सरकार का ध्यान इस गॉव की समस्या कि और दिलाना चाहता हु कि आजादी के 64 वर्ष बाद भी इस गॉव में यातायात  के साधनों, बिजली, पानी, दुरसंचार सेवा, विधालयो मे स्टाफ, चिकित्सालयों मे आधुनिक तकनिकी आदि का अभाव हैं। गॉव के लोगों द्वारा बिजली की फाईल जमा करवाने के बाद उन्हें बिजली का कनेक्शन नही मिल रहा। गॉव मे सैकंडरी स्कुल होने के बावजूद यहॉ एक भी विषय अध्यापक व प्रधानाध्यापक नही हैं। सिर्फ एक बाबु, दो चपरासी व तीन विधार्थी मित्रों के सहारे यह स्कुल चल रहा हैं।
   गॉव मे आने वाले अधिकारीगण व राजनेतागण झिरी गॉव को पर्यटक स्थल के रुप मे देखते हैं। हर व्यक्ति, अधिकारी व राजनेता को झिरी का नाम सुनते ही यहा घुमने की इच्छा करती हैं। तथा वे यहॉ घुमकर चले जाते हैं। लेकिन यहॉ के भोल-भाले लोगो की कोई नही सुनता। मै यहा ज्यादा कुछ नही कहुगॉ। यदि उपरोक्त जानकारी मे कोई गलती हो तो क्षमा चाहता हु।  धन्यवाद।





लेखक - रमेश कुमार (अध्यापक)
राजकीय उच्च प्राथमिक विधालय,
शंकरपुर (पं.स.-बसेड़ी), जिला-धौलपुर 
मोबाईल न.-  08955263800