झिरी गॉव का मुखडा व दुखड़ा
भैरों जी का मन्दिर |
झिरी गॉव धौलपुर (राजस्थान) जिले की सरमथुरा तहसील के 28 कि.मी. दूर चम्बल
नदी के किनारे बसा एक पंचायत मुख्यालय हैं। जिसके अन्र्तगत छोटे- छोटे
12-13 गॉव आते है। प्राचीन काल से ही लोग झिरी मे नौकरी करने वालो को काले
पानी की सजा मिल गयी हैं। यह अवधारणा बना कर रखते थें। और अब भी यदि कोई
अधिकारी किसी कर्मचारी को सजा के तोर पर झिरी ड्यूटी पर लगाने की बात करता
है। तो बेचारे कर्मचारी को लगता है, जैसे उसे जम्मू के लद्दाख के पहाड़ी
जंगल मे भेज दिया हो।

लोग झिरी को पताल लोक, काला पानी, तीसरी दुनिया, लौह पुरुष, डांग क्षैत्र आदि उपनामों से पुकारते हैं। झिरी का नाम सुनते ही रोगटे (बाल) खड़े हो जाते हैं। कारण यह था कि प्राचीन समय में झिरी गॉव के लिए कोई आवागमन का सुलभ साधन नही था व यह क्षेत्र दस्युओं कि शरणस्थली बना रहता था। मगर समय के साथ-2 क्षेत्र का विकास हुआ व दस्युओं का उन्मुलन होता गया।
यहॉ का प्राकृतिक दृश्य देखने से मन प्रफुलित हो जाता हैं। वर्तमान मे आपको इस क्षेत्र मे जम्मू-कश्मीर जैसे प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलेगे। यही कारण हैं कि अब इस क्षेत्र मे एक बार भ्रमण करने वाला व्यक्ति, यहां बार-बार आना पसन्द करता हैं।
मैं आपको यहॉ के कुछ प्राकृतिक अजूबों की तस्वीर दिखाना चाहुगां। जैसे- प्राकृतिक झरना, कुआ के जल का उफान, विचित्र पक्षी, नलकुप से बिना चलाये अपने आप निकलता पानी आदि ।
लेकिन मैं आप सभी क्षेत्रवाशियोंें, राजनेताओं, मिडिया कर्मचारियों से सविनय निवेदन करता हूॅ कि आप इस डांग क्षेत्र के विकास में सहयोग करे, डांग विकास कार्यक्रम मे मिलने वाली राशि का ईमानदारी से उपयोग करे व करावे। सरकारी योजनाओं को अच्छी तरह से क्रियान्वित कर, समय-समय पर अधिकारियों द्वारा ओडिट करवाये।
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