गुदड़ी मेला
यह मेला दो दिन तक लगता है। जिसमे पहले दिन की शाम को युवाओं द्वारा दखना (ऊॅची कुद की व दुसरे दिन की शाम को कुश्ती (दगंल की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं।
स्थानीय लोगों के सानिध्य में, बिना प्रशासनिक व्यवस्था के मेला व प्रतियोगितायें शान्तिपुर्वक तरीके से सम्पन्न होती हैं।
मेले मे पटवा जाति के लोगो द्वारा खिलौने आदि की दुकाने लगाई जाती हैं। उनसे इस मेले का इतिहास पुछने पर उन्होनें बताया कि इस मेले मे हमारी पिछली 4-5 पीढी दुकान करती आ रही हैं। और अब हम कर रहे हैं। लेकिन ये मेला कब से लगता आ रहा हैं, यह तो हमें भी स्पष्ट जानकारी नही हैं। मेले के दौरान गॉव की गलियों मे बहुत अधिक भीड़ देखने को मिलती हैं। जिसमे से गुजरना भी मुश्किल हो जाता हैं। आस पड़ौस के गॉवो से बच्चे, बुढे और महिलाओं का एक साथ समुह का समुह मेला देखने आते हैं। मेले के दौरान तो झिरी गॉव मे शहर से भी ज्यादा भीड़ रहती हैं। दुर-दराज के लोग इस मेले मे इक्कठे होने से वे एक दुसरे से मिलते हैं। बड़े-बुढे लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को कंधो पर बिठा कर मेले दिखाने लाते हैं।
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