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Saturday, October 27, 2012

श्री नंगा बाबा कुटी

श्री नंगा  बाबा कुटी

श्री नंगा  बाबा कुटी

श्री नंगा बाबा कुटी की स्थापना महंत श्री नंगा बाबा ने की थी। श्री नंगा बाबा ने लगभग 38 से 40 वर्ष पूर्व झिरी गॉव में जलेली के घाट पर जल समाधि ली थी। 

नंगा बाबा का धुणा

 

नंगा बाबा मन्दिर पर हर वर्ष श्रावण की गुरु पूर्णिमा को मेला भरता हैं। तथा श्रावण माह मे क्षेत्रवाशियों द्वारा हरिद्वार, गंगाजी से कावड लाकर आश्रम में स्थित शिवलिंग पर चढाते हैं। यहां के निवासियों ने बताया की यह शिवलिंग इस क्षेत्र का सबसे बड़ा शिवलिंग हैं।

                                                                     जब इस शिवलिंग की स्थापना की जा रही थी, तब यह शिवलिंग द्रोणी या खटोटी मे बार-बार स्थापित करने पर भी नही आ रहा था। फिर वहां उपस्थित कारीगर ने शिवलिंग को कुछ छिलना चाहा, तो श्री नंगा बाबा ने कहा कि, आप शिवलिंग से छेडछाड मत करो। समय आने पर यह अपने आप ही स्थापित हो जायेगा।
 कुछ समय बाद , बाबा ने कहा अब समय आ गया हैं। अब आप इसे स्थापित करों। जैसे ही शिवलिंग को द्रोणी पर रखा, वह अपने आप ही स्थापित हो गई।



 श्री न्ंगा बाबा का मुख्य चैला श्री सियागिरि नागा थे। तथा श्री सियागिरी नागा बाबा के चैले श्री पुन्ना बाबा जी, श्री फूलगिरि, श्री बद्रीगिरि , श्री कमलगिरि बाबा हैं। वर्तमान में आश्रम कि देखभाल पिछले 7 वर्षों से  श्री बद्रीगिरि नागा , श्री कमलगिरि बाबा कर रहे हैं।
 जब हमने श्री बद्रीगिरि नागा बाबा से श्री नंगा बाबा के बारे मे जानकारी जानना चाहा तो उन्होंने हमें कुछ रोचक जानकारी दी। उन्होनें बताया कि महंत श्री नंगा बाबा एक सिद्ध पुरुष थें। उन्होनें अपने जीवन मे बहुत बड़े-बड़े चमत्कार किये हैं। उन्होनें बताया कि बाबा कि गालिया ही लोगो के लिए आशिर्वाद हुआ करती थी। कभी-कभी तो बाबा ने मृत पशु - पक्षी व व्यक्यिों को जिन्दा कर देते थे। एक बार बाबा जंगल में से गुजरते समय रास्ते मे उन्हें मृत पक्षी मिला, तब बाबा ने उसे उठा कर आकाश की ओर फैंक दिया, व देखते ही देखते वह पक्षी जिन्दा होकर उडने लगा।
नंगा बाबा गुफा
एक बार शंकरपुर निवासी श्री महावीर सिंह पुत्र श्री श्याम सिंह को जलाने की तैयारी कर रहे थें। तब वहा से बाबा गुजर रहे थे। बाबा ने वहां खाने के लिए बासी रोटी मांगी, तो किसी ने कहा ,बाबा यहां तो जवान लड़का खत्म हुआ हैं ओर यहा तो चुल्हा भी नही जला हैं, आपको रोटी कैसे देगे? तब बाबा ने गाली देकर कहा, दुर हटो। जिन्दा लड़के को मृत बता रहे हो। फिर बाबा ने लड़के के थप्पी मार कर उस लड़के को जिन्दा कर दिया।
           बाबा को मेहमान नवाजी में कभी भी अच्छा व चुपडा खाना पसंद नही था। वे अच्छा  भोजन खिलाने वाले को गाली देते हुए कहते हैं कि “मै क्या तुम्हारा रिश्तेदार लगता हूं।, जो तुम मुझे ऐसा अच्छा भोजन करा रहे हो, जाओ घर पर कोई कल का बचा भोजन ले आओ, मे तो वही खा लुंगा।”

                           एक बार तो बाबा ने चिकनी चूपड़ी बहुत स्वादिष्ट भोजन से सजी थाली फैंक दी थी। लेकिन जब थाली गिरने के स्थान पर देखा तो, आश्चर्यचकित रह गये। क्योंकि थाली में सब कुछ वैसे ही सजा था, जैसा की थाली को फैंकने  से पहले सजा था। अर्थात कुछ भी फैला नही था।

कुटी के पास स्थित माता
क्षेत्रवासियों के मवेशी के माता रोग होने पर बाबा से पुछने पर बाबा गाली स्वरुप कहते  थे कि “जा तेरी मवेशी मरेगी।” लेकिन उनके गाली स्वरुप आशिर्वाद से वह मवेशी ठीक हो जाती थी। लोगो का आंख आने पर बाबा से पुछने पर बाबा गाली स्वरुप कहते  थे कि “जा एक बार आंख मे मिर्च डाल लेना, ठीक हो जायेगी और मिर्च डालने पर वह ठीक हो जाती थी। लेकिन आंख मे दुबारा मिर्च नही डालने की सलाह देते थे।                             
कुटी के पास स्थित हनुमान जी  न्दिर

एक बार तो नंगा बाबा ने आम के पौधे को पत्थर में उलटा कर लगा दिया व उस स्थान पर दुर्लभ परिस्थितियों मे भी पौधा लग गया व उसके आम लगने लगे। मन्दिर के पुजारी बताते हैं कि एक बार आश्रम में खाने के लिए मछली बनाई जा रही थी। तभी मन्दिर परिसर की ओर कुछ ब्राह्यण समाज के लोग आते दिखाई दिये तो, बाबा ने अपने शिष्यो को मछली छिपा देने को कहा। तथा कुछ समय पश्चात ब्राह्यण समाज के लोगो के जाने के बाद मछली को देखा, तो वे आलू, बैंगंन बन गये।
                           गॉव के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि पहले श्री नंगा बाबा की कुटी के पास स्थित कुआ सुखने पर, बाबा ने बादल की तरफ फरियाद करने पर, कुछ देर बाद कुआ पुनः पानी से भर गया व आज तक उसका पानी खत्म नही हुआ हैं।

कुटी के पास स्थित कुआ
बाबा के भक्तजन व क्षेत्रवाशी बताते हैं कि एक बार आश्रम में पूण्य धर्म का भोजन चल रहा था। अचानक पुवा बनाने के लिए घी खत्म हो गया। यहां से शहर दूर होने के कारण, तुरंत घी की व्यवस्था बनना असंभव थी। इसलिए कुटी के पास स्थित पानी के कुण्ड से बाबा द्वारा उधार पानी मांग कर, उसमें पुवा बनाये थे। अर्थात बाबा की कृपा दृष्टि से पानी में ही पुवा बन गयें। और आज भी ऐसी व्यवस्था उस कुंड के पानी से हो सकती हैं। लेकिन कुण्ड से उधार लिया पानी के वजन का घी वापिस उस कुण्ड में डालना पड़ता हैं।
                               बताते हैं कि बाबा ने जब चाहा, जहॉ चाहा, वही पानी निकाल कर पिया व नहाया। बाबा एक बार घोषणा कि थी कि एक समय इसी आश्रम के आगे से बसें होर्न बजाती हुई निकला करेगी। उनकी की हुई घोषणा आज पुरी हो रही हैं। वर्ना पहले यहां से आने जाने का कोई रास्ता नही था। घना जगंल ही जगंल था। 

                       श्री नंगा बाबा जल समाधि लेने के बाद भी वे लोगो को कभी किसी स्थान पर, तो कभी किसी जगह दर्शन दे देते थे। बाबा ने ऐसे अनेको चमत्कार हैं किये हैं जिसे यहां लिख पाना असंभव हैं। ऐसा मानो जैसे श्री नंगा बाबा एक साक्षात परमात्मा का रुप थे। श्री नंगा बाबा आश्रम में स्थित शिवलिंग से जो सच्ची श्रृद्धा से मन्नत मांगते हैं। वह पुरी होती हैं। बताते है। कि इस शिवलिंग मे भी सच्चे मन से देखने पर भगवान शिव के परिवार के दर्शन होते है। चाहे आप कोशिश कर के देख सकते हो। श्री नंगा बाबा के आश्रम मे बहुत दूर-2 से लोग आते हैं। श्रावण माह में तो लोग यहा यु.पी., म.प्र., राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली से लोग पुरे माह यहां आश्रम मे रहकर श्री शिव भगवान को जल चढाते हैं। और भगवान शिव सभी की मनोकामना पुरी करते हैं।

                       “जय भोले नाथ ”

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