सेढ माता मन्दिर
सेढ माता का मन्दिर झिरी गॉव के उतर दिशा मे, एक टिल्ले पर स्थित बहुत प्राचीन मन्दिर हैं। प्राचीन काल से ही लोग सेढ माता की पूजा-अर्चना करते हैं।
मन्दिर में स्थित माता की प्रतिमा भी बहुत प्राचीन हैं। एक बार किसी चोर ने इस प्रतिमा की चोरी कर ली थी। लेकिन एक माह मुतिै गायब रहने के बाद स्वयं चोर ने उस मुर्ति को मूल स्थान पर पहुचाया।
स्थानिय लोगों ने बताया की गॉव मे नवदम्पति जोड़े को शादी होने के तुरंत बाद माता सेढ का आशिर्वाद लेने के लिए , मन्दिर लाया जाता हैं। व उन्हें एक खेल खिलाया जाता हैं। जिसमे नवदम्पति जोड़े को एक चक्र के रुप में घुमना पड़ता हैं। तथा रिवाज के अनुसार दुल्हा दुल्हन को पैर से व दुल्हन दुल्हे
को पेड की टहनी से मारती हैं। नवदम्पति जोड़े को यह खेल खिलाने की परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही हैं।
शीतलाश्टमी के दिन यहॉ पुरे गॉव के लोग सेढ माता की पूजा-अर्चना करते हैं व मॉ
का आशिर्वाद पाते हैं।
श्री गंगानगर जिले के अरोड़ा मास्टर जी ने माता से अपनी मांगी गई मन्नत पुरी होने पर सेढ माता के मन्दिर के लिए टिल्ले पर चढने के लिए खडन्जे का पक्का निर्माण व मन्दिर का जीर्णोधार कार्य करवाया था।
श्री गंगानगर जिले के अरोड़ा मास्टर जी ने माता से अपनी मांगी गई मन्नत पुरी होने पर सेढ माता के मन्दिर के लिए टिल्ले पर चढने के लिए खडन्जे का पक्का निर्माण व मन्दिर का जीर्णोधार कार्य करवाया था।
मुझे यह मन्दिर दिखाने व जानकारी देने में मेरा सहयोग झिरी निवासी श्री राजवीर मीणा व श्री जयवीर सिंह जादौन ने किया। मै उनका आभर प्रकट करता हुं।
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