श्री आत्मपूरी बाबा की छतरी
झिरी गॉव के उतर में 10 किलोमीटर दूर घने जंगल मे श्री आत्मपूरी बाबा की छतरी स्थित हैं। स्थानीय लोगों के बताये अनुसार श्री आत्मपूरी बाबा की छतरी के पास से एक दूध का नाला बहता था। बताते हैं कि बाबा अपनी आत्मा को शरीर से निकाल कर हर रोज दूध से धोते थे।
बाबा क्षेत्रवाशियों से कहा करते थे] कि आप लोगों से इस नाले से जीतना दूध पी सकते हो] उतना पिलो। मगर इस दूध से छाछ नही बनाना। लेकिन भूलवषं एक औरत ने उस नाले के दूध से छाछ बना ली। तभी से इस नाले मे दूध के स्थान पर आज भी पानी अविरल बहता रहता हैं।
आत्मपूरी बाबा की इस छतरी का निर्माण श्री करौली महाराज ने करवाया था। एक बार करौली महाराज ने अपने सैनिक भेज कर बाबा के आश्रम से गाय के बछडों को लाने का आदेश दिया। बाबा ने राजा के आदेशानुसार सैनिकों को गाय के बाडे से बछडों को ले जाने के लिए कहा। लेकिन जब सैनिक बाडे मे पहुचते हैं तो वे ये देखकर आश्चर्य चकित हो जाते हैं कि गाय के बछडो के स्थान पर शेर के बच्चे गाय का दूध पी रहे थे। यह चमत्कार देखकर वे वापस लौट गये। इसी चमत्कार से प्रभावित होकर श्री करौली महाराज छतरी का निर्माण करवाया।
Great History
ReplyDelete