Welcome

orkut Layouts

Sunday, October 28, 2012

डगर वाले हनुमान जी का मन्दिर



डगर वाले हनुमान जी का मन्दिर


  डगर वाले हनुमान जी का मन्दिर पुराने खेड़ा (भम्पुरा) नंगा बाबा की कुटी के सामने, जंगल मे स्थित हैं। यह मुर्ति पृथ्वी की गोद से स्वयं अपने आप प्रकट हुई हैं। यह मुर्ति अब भी अपने स्थान पर भूमि से टेडी (झुकी) स्थापित हैं।





            क्षेत्रवासी बताते है कि एक बार श्री शान्तिदास जी महाराज ने अपनी जिद स्वरुप इस मुर्ति को सीधा करने का प्रयास किया था। जिसके कारण उन्हे भगवान के कोप का शिकार होना पड़ा था। जिससे श्री शान्तिदास जी महाराज मानसिक रुप से विक्षित हो गये। यह मुर्ति आज भी भूमि से टेडी (झुकी) अवस्था में स्थापित हैं। ऐसा बताते हैं कि इस मुर्ति पर आप कितना भी सिन्दूर ले जाकर लगाओ, वह कम ही पड़ता हैं।

डगर वाले हनुमान जी मन्दिर पर विशेष रुप से कजलिया तीज पर लोग जाते है। तथा बाबा के प्रशाद के लिए गोल पुवे चटक या नारियल चढाते हैं।
इस मन्दिर के बारे मे झिरी निवासी श्री जयवीर सिंह जादौन ने जानकारी देकर मेरा सहयोग किया। इसके लिए मै उन्हे धन्यवाद देना चाहता हूं।

श्री झिरीया माता जी का मन्दिर



श्री झिरीया माता जी का मन्दिर


                श्री झिरीया माता जी का मन्दिर झिरी गांव के पुरब दिशा मे, श्री बाबू महाराज के मन्दिर के पास ही स्थित है। यह खुले आसमान के तले बना प्राचीन मन्दिर है। स्थानिय लोग बताते है कि यहां  झिरीया माता जी तिमनगढ से आई थी। श्री झिरीया माता जी यहां के पाराशर, मीणा ककेनावत (झिरवार) की कुलदेवी है।  झिरी गांव का नाम भी इसी झिरीया माता जी के नाम से ही रखा गया है। इस मन्दिर की कुछ  मुर्तिया तो अब भी खण्डित अवस्था मे ही रखी है। प्राचीन काल मे झिरी गांव इसी मन्दिर के आसपास बसा था।

श्री गुरैया बाबा जी का मन्दिर



श्री गुरैया बाबा जी का मन्दिर

श्री गुरैया बाबा जी का मन्दिर झिरी गांव से हल्लु का पुरा गांव के रास्ते पर स्थित प्राचीन दुर्लभ मन्दिर है। इस मन्दिर की इमारत का निर्माण बिना चुना, बजरी, सीमेन्ट से हुआ है।



           नव विवाहित दम्पति को यहां आशीर्वाद लेने के लिए जरुर आना पड़ता है। यहां के निवासी इस मन्दिर की पूजा अर्चना, अपने पूर्वजो के रुप मे करते है। यहां पर कुछ शिलालेख भी रखे है। जिस पर कुछ अस्पष्ट लिखा हुआ है। जिसे पढना समझना कठिन कार्य है।

Saturday, October 27, 2012

श्री नंगा बाबा कुटी

श्री नंगा  बाबा कुटी

श्री नंगा  बाबा कुटी

श्री नंगा बाबा कुटी की स्थापना महंत श्री नंगा बाबा ने की थी। श्री नंगा बाबा ने लगभग 38 से 40 वर्ष पूर्व झिरी गॉव में जलेली के घाट पर जल समाधि ली थी। 

नंगा बाबा का धुणा

 

नंगा बाबा मन्दिर पर हर वर्ष श्रावण की गुरु पूर्णिमा को मेला भरता हैं। तथा श्रावण माह मे क्षेत्रवाशियों द्वारा हरिद्वार, गंगाजी से कावड लाकर आश्रम में स्थित शिवलिंग पर चढाते हैं। यहां के निवासियों ने बताया की यह शिवलिंग इस क्षेत्र का सबसे बड़ा शिवलिंग हैं।

                                                                     जब इस शिवलिंग की स्थापना की जा रही थी, तब यह शिवलिंग द्रोणी या खटोटी मे बार-बार स्थापित करने पर भी नही आ रहा था। फिर वहां उपस्थित कारीगर ने शिवलिंग को कुछ छिलना चाहा, तो श्री नंगा बाबा ने कहा कि, आप शिवलिंग से छेडछाड मत करो। समय आने पर यह अपने आप ही स्थापित हो जायेगा।
 कुछ समय बाद , बाबा ने कहा अब समय आ गया हैं। अब आप इसे स्थापित करों। जैसे ही शिवलिंग को द्रोणी पर रखा, वह अपने आप ही स्थापित हो गई।



 श्री न्ंगा बाबा का मुख्य चैला श्री सियागिरि नागा थे। तथा श्री सियागिरी नागा बाबा के चैले श्री पुन्ना बाबा जी, श्री फूलगिरि, श्री बद्रीगिरि , श्री कमलगिरि बाबा हैं। वर्तमान में आश्रम कि देखभाल पिछले 7 वर्षों से  श्री बद्रीगिरि नागा , श्री कमलगिरि बाबा कर रहे हैं।
 जब हमने श्री बद्रीगिरि नागा बाबा से श्री नंगा बाबा के बारे मे जानकारी जानना चाहा तो उन्होंने हमें कुछ रोचक जानकारी दी। उन्होनें बताया कि महंत श्री नंगा बाबा एक सिद्ध पुरुष थें। उन्होनें अपने जीवन मे बहुत बड़े-बड़े चमत्कार किये हैं। उन्होनें बताया कि बाबा कि गालिया ही लोगो के लिए आशिर्वाद हुआ करती थी। कभी-कभी तो बाबा ने मृत पशु - पक्षी व व्यक्यिों को जिन्दा कर देते थे। एक बार बाबा जंगल में से गुजरते समय रास्ते मे उन्हें मृत पक्षी मिला, तब बाबा ने उसे उठा कर आकाश की ओर फैंक दिया, व देखते ही देखते वह पक्षी जिन्दा होकर उडने लगा।
नंगा बाबा गुफा
एक बार शंकरपुर निवासी श्री महावीर सिंह पुत्र श्री श्याम सिंह को जलाने की तैयारी कर रहे थें। तब वहा से बाबा गुजर रहे थे। बाबा ने वहां खाने के लिए बासी रोटी मांगी, तो किसी ने कहा ,बाबा यहां तो जवान लड़का खत्म हुआ हैं ओर यहा तो चुल्हा भी नही जला हैं, आपको रोटी कैसे देगे? तब बाबा ने गाली देकर कहा, दुर हटो। जिन्दा लड़के को मृत बता रहे हो। फिर बाबा ने लड़के के थप्पी मार कर उस लड़के को जिन्दा कर दिया।
           बाबा को मेहमान नवाजी में कभी भी अच्छा व चुपडा खाना पसंद नही था। वे अच्छा  भोजन खिलाने वाले को गाली देते हुए कहते हैं कि “मै क्या तुम्हारा रिश्तेदार लगता हूं।, जो तुम मुझे ऐसा अच्छा भोजन करा रहे हो, जाओ घर पर कोई कल का बचा भोजन ले आओ, मे तो वही खा लुंगा।”

                           एक बार तो बाबा ने चिकनी चूपड़ी बहुत स्वादिष्ट भोजन से सजी थाली फैंक दी थी। लेकिन जब थाली गिरने के स्थान पर देखा तो, आश्चर्यचकित रह गये। क्योंकि थाली में सब कुछ वैसे ही सजा था, जैसा की थाली को फैंकने  से पहले सजा था। अर्थात कुछ भी फैला नही था।

कुटी के पास स्थित माता
क्षेत्रवासियों के मवेशी के माता रोग होने पर बाबा से पुछने पर बाबा गाली स्वरुप कहते  थे कि “जा तेरी मवेशी मरेगी।” लेकिन उनके गाली स्वरुप आशिर्वाद से वह मवेशी ठीक हो जाती थी। लोगो का आंख आने पर बाबा से पुछने पर बाबा गाली स्वरुप कहते  थे कि “जा एक बार आंख मे मिर्च डाल लेना, ठीक हो जायेगी और मिर्च डालने पर वह ठीक हो जाती थी। लेकिन आंख मे दुबारा मिर्च नही डालने की सलाह देते थे।                             
कुटी के पास स्थित हनुमान जी  न्दिर

एक बार तो नंगा बाबा ने आम के पौधे को पत्थर में उलटा कर लगा दिया व उस स्थान पर दुर्लभ परिस्थितियों मे भी पौधा लग गया व उसके आम लगने लगे। मन्दिर के पुजारी बताते हैं कि एक बार आश्रम में खाने के लिए मछली बनाई जा रही थी। तभी मन्दिर परिसर की ओर कुछ ब्राह्यण समाज के लोग आते दिखाई दिये तो, बाबा ने अपने शिष्यो को मछली छिपा देने को कहा। तथा कुछ समय पश्चात ब्राह्यण समाज के लोगो के जाने के बाद मछली को देखा, तो वे आलू, बैंगंन बन गये।
                           गॉव के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि पहले श्री नंगा बाबा की कुटी के पास स्थित कुआ सुखने पर, बाबा ने बादल की तरफ फरियाद करने पर, कुछ देर बाद कुआ पुनः पानी से भर गया व आज तक उसका पानी खत्म नही हुआ हैं।

कुटी के पास स्थित कुआ
बाबा के भक्तजन व क्षेत्रवाशी बताते हैं कि एक बार आश्रम में पूण्य धर्म का भोजन चल रहा था। अचानक पुवा बनाने के लिए घी खत्म हो गया। यहां से शहर दूर होने के कारण, तुरंत घी की व्यवस्था बनना असंभव थी। इसलिए कुटी के पास स्थित पानी के कुण्ड से बाबा द्वारा उधार पानी मांग कर, उसमें पुवा बनाये थे। अर्थात बाबा की कृपा दृष्टि से पानी में ही पुवा बन गयें। और आज भी ऐसी व्यवस्था उस कुंड के पानी से हो सकती हैं। लेकिन कुण्ड से उधार लिया पानी के वजन का घी वापिस उस कुण्ड में डालना पड़ता हैं।
                               बताते हैं कि बाबा ने जब चाहा, जहॉ चाहा, वही पानी निकाल कर पिया व नहाया। बाबा एक बार घोषणा कि थी कि एक समय इसी आश्रम के आगे से बसें होर्न बजाती हुई निकला करेगी। उनकी की हुई घोषणा आज पुरी हो रही हैं। वर्ना पहले यहां से आने जाने का कोई रास्ता नही था। घना जगंल ही जगंल था। 

                       श्री नंगा बाबा जल समाधि लेने के बाद भी वे लोगो को कभी किसी स्थान पर, तो कभी किसी जगह दर्शन दे देते थे। बाबा ने ऐसे अनेको चमत्कार हैं किये हैं जिसे यहां लिख पाना असंभव हैं। ऐसा मानो जैसे श्री नंगा बाबा एक साक्षात परमात्मा का रुप थे। श्री नंगा बाबा आश्रम में स्थित शिवलिंग से जो सच्ची श्रृद्धा से मन्नत मांगते हैं। वह पुरी होती हैं। बताते है। कि इस शिवलिंग मे भी सच्चे मन से देखने पर भगवान शिव के परिवार के दर्शन होते है। चाहे आप कोशिश कर के देख सकते हो। श्री नंगा बाबा के आश्रम मे बहुत दूर-2 से लोग आते हैं। श्रावण माह में तो लोग यहा यु.पी., म.प्र., राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली से लोग पुरे माह यहां आश्रम मे रहकर श्री शिव भगवान को जल चढाते हैं। और भगवान शिव सभी की मनोकामना पुरी करते हैं।

                       “जय भोले नाथ ”

अंजनी माता मन्दिर

अंजनी माता मन्दिर


 यह मन्दिर झिरी के किले में उतरी-पश्चिमी कोने मे स्थित हैं। यह मन्दिर

अंजनी माता मन्दिर

राजाशाही जमाने का प्राचीन मन्दिर हैं। इस मन्दिर के गेट को प्राचीन समय से ही पत्थर की चिनाई कर बंद कर रखा हैं।  आज तक भी लोगों को मन्दिर के गेट  कि चिनाई के पिछे क्या रहस्य हैं ? इस मन्दिर मे लगी प्रतिमा कैसी हैं? इस बात का स्पष्ट जवाब नही हैं।

                स्थानिय निवासी बताते हैं कि किसी व्यक्ति ने भी इस मन्दिर के गेट खोलने का साहस नही किया हैं। औंर बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति खोलेगा तो उसे माता के कोप का शिकार होना पड़ेगा। इस लिए मन्दिर के मुख्य गेट से कोई भी लोग छेडछाड. करने का दुसाहस नही करते हैं। मन्दिर के गेट के पिछे क्या रहस्य हैं ? या इसमे राजाशाही जमाने के हथियार या खजाना या कोई अन्य चीज रखी हैं ? यह सब बातें एक रहस्य बनी हुई हैं।

  वर्तमान में इस मन्दिर का जिर्णोधार ठेकेदार श्री संजू सिंह जादौन द्वारा करवाया जा रहा हैं। लेकिन मुख्य मन्दिर के गेट से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नही की जा रही हैं। मन्दिर  के बाहरी दृष्य व उसमें लगे कलात्मक पत्थर वास्तव में ही देखने लायक हैं। हजारों वर्ष प्राचीन मन्दिर में, पत्थरों की ऐसी कलात्मक कलाकारी को देखकर मन प्रफुलित हो जाता हैं।

          वर्तमान में मन्दिर  के बरामदे की खुदाई करने पर उसमे लोहे के बने तोप के गोलेनुमा सामग्री मिली। जिसका वजन लगभग 100 ग्राम से लेकर 5 कि.ग्रा. था। मन्दिर के टुटे तोरण गेटनुमा पत्थर के हाथी के सुण्ड, मन्दिर  के कंगारे, बड़ी- बड़ी कलात्मक शिलायें आदि भी मिली हैं। लेकिन ये मन्दिर कितना प्राचीन हैं इस सम्बन्ध में कोई शिलालेख नही मिला।

           स्थानिय लोग बताते हैं कि जब राजा-महाराजाओं के शासन का अन्त हुआ था, तब लोग इस किले से कलात्मक पत्थर, समान आदि उठा कर ले जा रहे थें। लेकिन जैसे ही लोगों ने मॉ अंजनी के मन्दिर परिसर के पत्थरों के हाथ डाला तो, प्राकृतिक का चमत्कार हुआ। लोग अंधे होने लगे व उन्हें किले से बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नही आया। घने काले बादल छा गये, तेज तुफान आने लगा।

                             जब लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ तो, उन्होनें माता से  क्षमा मांगी व भक्तों ने माता को खुश करने के लिए नारियल चढा-चढा कर ढेर लगा दिये। तब जाकर माता का गुस्सा शात हुआ व लोगों ने चैन-सुकुन की सांस ली। आज भी को व्यक्ति उस मन्दिर से किसी प्रकार की वस्तु चुराने की चेष्टा नही करता हैं।
                                               इसी के साथ इस पोस्ट को यही पुरी करता हू। मुझे यह मन्दिर दिखाने व जानकारी देने में, मेरा सहयोग झिरी निवासी श्री राजवीर मीणा ने किया।
                                          इसी के साथ मैं रमे कुमार अध्यापक, मॉ अंजनी से कामना करता हूं ,कि मॉ अंजनी अपने भक्तों पर अपना आशिर्वाद बनाये रखे। तथा मनोकामनायें पुरी करे।
                         {जय अंजनी माता }

सेढ माता मन्दिर झिरी



सेढ माता मन्दिर              

सेढ माता का मन्दिर झिरी गॉव के उतर दिशा मे, एक टिल्ले पर स्थित बहुत प्राचीन मन्दिर हैं। प्राचीन काल से ही लोग सेढ माता की पूजा-अर्चना करते हैं।

 

मन्दिर में स्थित माता की प्रतिमा भी बहुत प्राचीन हैं। एक बार किसी चोर ने इस प्रतिमा की चोरी कर ली थी। लेकिन एक माह मुतिै गायब रहने के बाद स्वयं चोर ने उस मुर्ति को मूल स्थान पर पहुचाया।

                  स्थानिय लोगों ने बताया की गॉव मे नवदम्पति जोड़े को शादी होने के तुरंत बाद माता सेढ का आशिर्वाद लेने के लिए , मन्दिर लाया जाता हैं। उन्हें एक खेल खिलाया जाता हैं। जिसमे नवदम्पति जोड़े को एक चक्र के रुप में घुमना पड़ता हैं। तथा रिवाज के अनुसार दुल्हा दुल्हन को पैर से दुल्हन दुल्हे को पेड की टहनी से मारती हैं। नवदम्पति जोड़े को यह खेल खिलाने की परम्परा प्राचीन काल से ही चली रही हैं।

                 
 शीतलाश्टमी के दिन यहॉ पुरे गॉव के लोग सेढ माता की पूजा-अर्चना करते हैं मॉ का आशिर्वाद  पाते हैं।
                 
श्री गंगानगर जिले के अरोड़ा मास्टर जी ने माता से अपनी मांगी गई मन्नत पुरी होने पर सेढ माता के मन्दिर के लिए टिल्ले पर चढने के लिए खडन्जे का पक्का निर्माण मन्दिर का जीर्णोधार कार्य करवाया था। 
         मुझे यह मन्दिर दिखाने व जानकारी देने में मेरा सहयोग झिरी निवासी श्री राजवीर मीणा व श्री जयवीर सिंह जादौन ने किया।  मै उनका आभर प्रकट करता हुं।

श्री बाबू महाराज मन्दिर

श्री बाबू महाराज मन्दिर

 श्री बाबू महाराज मन्दिर झिरी गॉव के पुरब दिशा मे चम्बल नदी के किनारे बना है। स्थानीय लोगो के अनुसार सर्वप्रथम झिरी गांव इसी मन्दिर के आस-पास बसा था।  उसके बाद यह गांव वर्तमान स्थान पर बसा हैं।
   श्री बाबू महाराज की बड़ी जात भाद्रपद शुक्ला दोज को लगाई जाती है। पुरे गांव के लोग इस दिन दूध नही बेचते है। वे दूध की खीर बना कर, उसका भोग चढाने हेतु श्री बाबू महाराज मन्दिर जाते है बाबा का आशिर्वाद लेकर वही पर परिवार के साथ भोजन करते है। श्री बाबू महाराज की वर्तमान मे पूजा-अर्चना का कार्य श्री सीयाराम जी मीणा करते है। श्री बाबू महाराज मन्दिर में जात करने के लिए दुर-दराज से लोग आते है। मैने श्री बाबू महाराज मन्दिर की जानकारी के लिए एक पोस्ट पहले भी प्रकाशित कर चुका हु। जिसमे आप श्री बाबू महाराज के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
                  जय श्री बाबू महाराज की मन्दिर