अंजनी माता मन्दिर
यह
मन्दिर झिरी के किले में उतरी-पश्चिमी कोने मे स्थित हैं। यह मन्दिर
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अंजनी माता मन्दिर
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राजाशाही जमाने का प्राचीन मन्दिर हैं। इस मन्दिर के गेट को प्राचीन समय
से ही पत्थर की चिनाई कर बंद कर रखा हैं। आज तक भी लोगों को मन्दिर के
गेट कि चिनाई के पिछे क्या रहस्य हैं ? इस मन्दिर मे लगी प्रतिमा कैसी
हैं? इस बात का स्पष्ट जवाब नही हैं।
स्थानिय निवासी बताते हैं कि किसी
व्यक्ति ने भी इस मन्दिर के गेट खोलने का साहस नही किया हैं। औंर बताते
हैं कि यदि कोई व्यक्ति खोलेगा तो उसे माता के कोप का शिकार होना पड़ेगा। इस
लिए मन्दिर के मुख्य गेट से कोई भी लोग छेडछाड. करने का दुसाहस नही करते
हैं। मन्दिर के गेट के पिछे क्या रहस्य हैं ? या इसमे राजाशाही जमाने के हथियार या खजाना या कोई अन्य चीज रखी हैं ? यह सब बातें एक रहस्य बनी हुई हैं।
वर्तमान में इस मन्दिर का जिर्णोधार ठेकेदार श्री संजू सिंह जादौन द्वारा
करवाया जा रहा हैं। लेकिन मुख्य मन्दिर के गेट से किसी प्रकार की छेड़छाड़
नही की जा रही हैं। मन्दिर के बाहरी दृष्य व उसमें लगे कलात्मक पत्थर वास्तव में ही देखने
लायक हैं। हजारों वर्ष प्राचीन मन्दिर में, पत्थरों की ऐसी कलात्मक कलाकारी
को देखकर मन प्रफुलित हो जाता हैं।
वर्तमान में मन्दिर के बरामदे की खुदाई करने पर उसमे लोहे के बने तोप के
गोलेनुमा सामग्री मिली। जिसका वजन लगभग 100 ग्राम से लेकर 5 कि.ग्रा. था।
मन्दिर के टुटे तोरण गेटनुमा पत्थर के हाथी के सुण्ड, मन्दिर के कंगारे,
बड़ी- बड़ी कलात्मक शिलायें आदि भी मिली हैं। लेकिन ये मन्दिर कितना प्राचीन
हैं इस सम्बन्ध में कोई शिलालेख नही मिला।
स्थानिय लोग बताते हैं कि जब राजा-महाराजाओं के शासन
का अन्त हुआ था, तब लोग इस किले से कलात्मक पत्थर, समान आदि उठा कर ले जा
रहे थें। लेकिन जैसे ही लोगों ने मॉ अंजनी के मन्दिर परिसर के पत्थरों के
हाथ डाला तो, प्राकृतिक का चमत्कार हुआ। लोग अंधे होने लगे व उन्हें किले
से बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नही आया। घने काले बादल छा गये, तेज
तुफान आने लगा।
जब लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ तो, उन्होनें माता से
क्षमा मांगी व भक्तों ने माता को खुश करने के लिए नारियल चढा-चढा कर ढेर
लगा दिये। तब जाकर माता का गुस्सा शात हुआ व लोगों ने चैन-सुकुन की सांस ली। आज भी को व्यक्ति उस मन्दिर से किसी प्रकार की वस्तु चुराने की चेष्टा नही करता हैं।
इसी के साथ इस पोस्ट को यही पुरी करता हू। मुझे यह मन्दिर दिखाने व
जानकारी देने में, मेरा सहयोग झिरी निवासी श्री राजवीर मीणा ने किया।
इसी के साथ मैं रमेश कुमार अध्यापक, मॉ अंजनी से कामना करता हूं ,कि मॉ अंजनी अपने भक्तों पर अपना आशिर्वाद बनाये रखे। तथा मनोकामनायें पुरी करे।
{जय अंजनी माता }